Kislay
This book contains my poem titled “Meri Maa (मेरी माँ)”
An excerpt from my poem(मेरी कविता की चंद पंक्तियाँ):
बचपन में जो मेरे संवर्धन का सहारा थी
आज सहारे की आस में जाने कब से खड़ी है
मुझे युवा बनाने में जिसने अपना यौवन गवां दिया
आज न जाने कितनी बीमारियों से जूझ रही है
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